देश में लाॅक डाउन हुये 19 दिन व्यतीत हो चुके है । अभी भी हम देश में कोरोना मरीजों की संख्या को कम नही कर पाये
है, बल्कि उसमें तेजी से वृध्दि ही हो रही है (लाॅकडाउन के पूर्व की अवधि की तुलना में) । इसके कई कारण हो सकते है । एक तो लाकडाउन जिसे 100 प्रतिशत लागू किये जाना चाहिये था वह कही पर प्रशासन और कही पर नागरिकों की असावधानी व गैर जिम्मेदार व्यव्हार के कारण लागू होने में कमी हुई है । इस दिशा में 99 प्रतिशत प्रयास भी हमें सफलता नहीं दिला पायेगें। क्योंकि एक सक्रमित व्यक्ति भी लाकडाउन का उल्लघन करता है तो वह चेन के रूप में 600 से उपर आदमियों को सक्रमणित कर सकता है क्योंकि उसका टेस्ट नही हूआ है । अतः स्वयं वह एक सक्रमित व्यक्ति हो सकता है । दूसरा कारण यह भी हो सकता है कि पूर्व में टेस्टिंग बहुत कम हो रही थी । 10 दिवस पूर्व तक टेस्टिंग मात्र 44000 के आसपास हुई थी। जो अब तक कूल संख्या 20000 से उपर की हो गई है । इस कारण से भी कोरोना के प्रकरण ज्यादा सामने आ रहे है । अतः ऐसी स्थिति में कोरोना (कोविड19) को रोकने के लिये सम्पूर्ण देष मंे लाॅकडाउन बढाया जाना क्या आर्थिक कोरोना वायरस को जन्म तो नही देगा, यह एक बडा चिंतनीय विचारणीय प्रश्न हेै ? देश को कोरोना के गडढे से निकालने के लिये किये गये प्रयासों से उतपन्न आर्थिक अर्थव्यवस्था को संकंट में डालकर उसे कमजोर करके क्या हम एक दूसरे सकंट के लिये गडडा तो नहीं खोद रहे हेै, इसका सबसे बडा कारण प्रारम्भ से ही केन्द्रीय व राज्य सरकार ने ‘‘कोरोना बीमारी‘‘ को ध्यान मंे रखकर बीमारी के रोकथाम के लिये ‘‘सिर्फ‘‘ (एक्लूजीव) के बजाए प्रथम प्राथमिकता दे कर कार्य करतें व साथ में आर्थिक प्रभाव को ध्यान में रखते हुये स्वास्थ्य व आर्थिक दोनों दुष्टि से संयुक्त कदम उठाये गये होते तो आर्थिक अर्थव्यवस्था के बादल की आंशका नहीं आती, जैसा कि आज प्रधान मंत्री जी ने स्वयं स्वीकार किया है । अतः आज सरकार को कोरोना को रोकने के लिए उठाये गये समस्त आवश्यक कदमों के साथ साथ इस बात पर भी विचार करना होगा कि वे कदम इस तरह से उठाये जाये जिससे अर्थव्यवस्था पर कम से कम विपरीत प्रभाव पडें । यह तभी सम्भव है जब हम इस आर्थिक पहलु को ध्यान में रखते हुये स्वास्थ बीमारी के संबंध में आवश्यक कदम उठायेगें । यदि सरकार प्रथम दिन से ही पूरे
देश
में नाॅका बंदी लागू ना कर सिर्फ उन जिलों मेंु ही लाॅकबंदी लागू करती जहां कोरोना के प्रकरण पाये गये है, तथा वहां करफयू लागू कर उसे कठोरता से पालन करवाया जाता तो वहां पर आवष्यक रूप से निर्माण से लेकर उत्पादन की विभिन्न उत्पादक एक्टिविटीज चलती रहें व देश को आर्थिक स्थिति को गर्त में जाने से रोका जा सकता है । अतः अब सरकार को 14 अप्रैल 2020 के बाद नागरिकों को जीवन व आर्थिक बरबादी दोनों से बचने के लिये पूरे देश में लाॅकबंदी को बढाया जाना उचित कदम नहीं होगा वह एक मात्र सार्थक कदम यह होगा कि जब सरकार पूरे
देश
में जहां कहीं भी कोरोना के मरीज पाये गये है उसके आस पास के क्षेत्र को हाॅटस्पाॅट घोषित कर वहां करफयू घोषित कर दिया जावें व शेष भारत कांे लाकडाउन से मुक्त कर देना चाहिये अर्थात प्रत्येक कोरोना मुक्त जिला (728 जिले में से 354 जिले) को घर परिवार मान कर एक इकाई घोषित कर लाकडाउन से मुक्त कर देना चाहिये ताकि निर्माण एवं उत्पादन की गतिविधियां, ट्रासपोर्टेशन इत्यादि पर प्रभावी नियंत्रण के साथ प्रारम्भ हो सकें और देश के नागरिकांे को सरकार के इस नियत्रण को प्र्रभावी बनाने के लिये पूर्ण सक्रिय सहयोग देना चाहिये, तभी हम इस बीमारी से आर्थिक संकट से कम प्रभावित होते हुये सफलता पूर्वक कम समय में मुक्ती पा सकते है। सरकार को लाकडाउन पर विचार करते समय इस बात पर गम्भीरता से विचार करना चाहिये कि असंगठित क्षेत्र कंे देश के 40 करोढ में से लगभग आधे 20 करोढ तिहाडी मजदूर,हाथ ठेला चालक,रिक्शा चालक जिनका रारकार की किसी भी योजना में पंजीयन नहंी है वह सरकारी सहायता पाने से वंचित रहेगा साथ ही सरकारी सहायता हितधारियों में कितने प्रतिशत तक पहुचती है, इसके
प्रतिशत
के आकडे लिखने की आवश्यकता नहीं है । अतः ऐसे लोगों के जीवन यापन पर तो गैर सरकारी सहायता समूहों का भी ध्यान नहीं जाता है । अतः इस प्रकार के लोगों का जीवन बचाने के लिये अनुशासित रूप से लाॅकडाउन का समाप्त किया जानाआवश्यक है ।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Popular Posts
-
देश के सबसे सफलतम आध्यात्मिक योग गुरू श्रद्धेय बाबा रामदेवजी का यह वक्तव्य कि अगले लोकसभा चुनाव में वे भी भाग लेंगे और वे अपने अनुयायियों को...
-
1). चुनावी पूर्व सर्वेक्षण और एक्जिट पोल पहले की तरह बुरी तरह से फ्लाप और लगभग विपरीत रहे। लेकिन इलेक्ट्रोनिक्स मीडिया में चुनावी वि...
-
Photo: www.india.com राजीव खण्डेलवाल: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पिछले समस्त सर संघचालको से अलग अपनी विशिष्ट भूमिका वहन करने वाले स...
-
आम आदमी पार्टी ‘‘(आप)’‘ जबसे अरविंद केजरीवाल ने अन्ना आंदोलन के सहयोगियो के साथ मिलकर बनाई है तब से ‘‘आम‘‘ और ‘‘खास‘‘ की चर्चा देश के राज...
-
आज जिस तरह पूरे देश में चारो तरफ सहिष्णुता व असहिष्णुता पर बहस चल रही है, उसकी ‘‘गर्म हवा’’ देश की संसद के दोनो सदन तक वृहस्त च...
-
माननीय उच्चतम न्यायालय ने शादी के बगैर साथ रहने और शादी के पूर्व सहमति से शारीरिक संबंध बनाने को अपराध नहीं माना है। माननीय उच्चतम न्याय...
-
''भगवा आतंकवाद'' पर पूरे देश में संसद से लेकर टीवी चैनल्स पर जो प्रतिक्रिया हुई वह स्वाभाविक ही होनी थी। शायद इसीलिए कांग्रे...
-
विगत दिनों कुछ समय से चीन के द्वारा अरुणाचल प्रदेश, दलैलामा और भारत के रिश्तों के सम्बन्ध में लगातार अनर्गल धमकी भरे और भारत की इज्जत का मखौ...
-
17 मई 2018 को बैतूल में आयोतिज समारोह पत्रकार जगत के " धूमकेतु" डॉक्टर वेद प्रताप वैदिक का अचानक हृदयाघात से स्वर्गवास हो जाने से...
-
माननीय सुप्रीम कोर्ट ने लखनऊ की इलाहाबाद उच्च न्यायालय की पीठ में लम्बित रामजन्मभूंमि/बाबरी मस्जिद प्रकरण के सिलसिले में २४ सितम्बर को जो अं...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें