बुधवार, 15 फ़रवरी 2017

क्या कांग्रेस को मनमोहन सिंह की ईमानदारी पसंद नहीं ?

विगत दिवस राज्यसभा में प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री की तुलना रेनकोट पहनकर नहाने की कला से की हैं। कांग्रेस पार्टी ने राज्यसभा में उक्त बयान की प्रतिक्रिया में न केवल बयानो की झड़ी लगा दी, बल्कि राज्यसभा का बहिष्कार करने की प्रतिक्रिया देकर अचभित भी किया हैं। आखिर नरेन्द्र मोदी द्वारा क्या कहा गया हैं, जिसकी इतनी तीव्र प्रतिक्रिया कांग्र्रेस पार्टी द्वारा की जा रही हैं। पिछले सत्र में मनमोहन सिंह ने कुछ कहा था, करीब 35 साल वे देश के आर्थिक परिदृश्यों के केन्द्र में रहे। डॉ. साहब पूर्व प्रधानमंत्री हैं और वे आदरणीय हैं। हिन्दूस्तान में पिछले 30-35 वर्षो के आर्थिक परिदृश्य में उनका दबदबा रहा हैं। मोदी ने कहा कि आजादी के बाद 70 साल में हिन्दूस्तान में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हैं जिसका आर्थिक परिदृश्य में इतना दबदबा रहा हैं। हम राजनीतिको को इनसे काफी कुछ सीखने की जरूरत हैं इनके समय इतना सब कुछ हुआ, घोटाले हुए, लेकिन उनपर कभी कोई दाग नहीं लगा। ‘‘बाथरूम में रेनकोट पहनकर नहाने की कला डॉं साहब ही जानते हैं और कोई नहीं जानता’’। यह कह कर मोदी जी ने मनमोहन सिंह की ईमानदारी की पीठ ही थपथपाई हैं। इस पर कंाग्रेस को क्यो ऐतराज हैं यह समझ से परे हैं। कांग्रेस की मोदी से उक्त टिप्पणी पर माफी की मांग तो हास्यपद हैं।
मोदी के इस बयान पर मनमोहन सिंह का यह कथन कि मैं कुछ नहीं कहना चाहता हूूं स्थिति को और स्पष्ट करता हैं। हॉं यदि कांग्रेस को मोदी के कंाग्रेस की भ्रष्टाचार की बात पर कोई ऐतराज हैं तो यह उदाहरण प्रथम बार नहीं हैं वह इन घोटालांे की बात अनेकोनेक बार कई राजनैतिक पार्टीयॉं, विशिष्ट नागरिकों संस्थाओं द्वारा समय-समय पर कांग्रेस पर घोटाले के आरोप लगाते रहे हैं। हां यदि मनमोहन सिंह की ईमानदारी को मोदी द्वारा दिये गये प्रमाण पत्र पर कांग्रेस को आपत्ति हेैें तो यह समझ में आता हैं क्योंकि उन्हांेने मनमोहन सिंह को ईमानदार कहकर कंाग्रेस के शीर्षस्थ नेतृत्व से लेकर बाकी नेताओं भ्रष्टाचार की लाइन में खड़ा कर दिया। इस बात पर उनकी खुजलाहट समझ में आती हैं। मोदी जी के भाषणो में नये नये शब्दो का प्रयोग पहले भी हुआ हैं। वास्तव में वर्तमान मोदी जी नई वाक शैली व वाकपटूता के लिये जाने व पसंद किये जाने लगे हैं। यद्यपि उनके तंज के नये रूप से विरोधी परेशान हैं क्योंकि उनके तंज का जवाब देने के लिए विरोधियों के पास शायद उतना बुद्धि कौशल नहीं हैं।   

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