मंगलवार, 28 जनवरी 2014

सोमनाथ भारती के इस्तीफे की मांग! कितनी उचित !

                                                                                                       राजीव खण्डेलवाल:
             पिछले कुछ दिनो से मीडिया में इस समय के सर्वाधिक चर्चित व्यक्ति है तो वे है दिल्ली सरकार के कानून मंत्री सोमनाथ भारती। मीडिया में हर समय छाये रहने वाले अरविंद केजरीवाल और नरेन्द्र मोदी से भी ज्यादा वे छप व दिख रहे है। क्या वास्तव में उन्होने बहुत कुछ किया है ? सोमनाथ भारती की हो रही घोर आलोचना की विवेचना करने पर तो इसके देा पहलू सामने आते है। एक पहलू यह कि एक वकील की हैसियत से उन पर गवाही पर छेडछाड करने का आरोप। अगस्त 2013 में सीबीआई की पटियाला की  विशेष अदालत ने वकील सोमनाथ भारती के आचरण को अत्यंत अनैतिक करार देकर उसे सबूत से छेडछाड माना था। इस आधार पर न केवल उनके मुवक्किल की जमानत रदद कर दी गई थी। बल्कि उक्त आरोप को उच्च न्यायालय से लेकर उच्चतम न्यायालय तक ने उसे सही माना। यह कृत्य भारती के  आप पार्टी  मेे शामिल होकर चुनाव लडने के पूर्व का था जिसकी जानकारी हाल मे ही मीडिया द्वारा सामने लाई गयी थी। इस आधार पर नैतिकता के चलते या तो उन्हे खुद इस्तीफा दे देना चाहिये था या मुख्यमंत्री को उन्हे इस्तीफा देने के लिये कहना था। इस्तीफा देने से इंकार करने की स्थिति में उन्हे बर्खास्त करने की सिफारिश उपराज्यपाल को करना था। नैतिकता के उच्च मापदंड के आधार पर ही आम पार्टी का न केवल गठन हुआ बल्कि तेजी से उसका विकास भी हुआ। केजरीवाल द्वारा पूर्व में निम्न न्यायालयो द्वारा दोषी पाये जाने पर जहां अपील उच्च व उच्चतम न्यायालय में लंबित है,नैतिक    आधार पर मंत्रियो से इस्तीफा मांगा गया था। कुछ मंत्रियो को नैतिकता के इसी आधार पर मजबूरी में इस्तीफा भी देना पडा था। लेकिन खुद उनके मंत्री सोमनाथ भारती जो स्वयं एक कानून मंत्री है को इस देश की स्थापित न्याय व्यवस्था के द्वारा अंतिम रूप से दोषमुक्त न किये जाने के बावजूद केजरीवाल का न्यायालीन निर्णय मे तथाकथित खोट निकालकर अपने कानून मंत्री का बचाव करना न तो नैतिक रूप से सही है न राजनैतिक रूप से सही है और न ही कानूनी रूप से सही है। बावजूद इसके समस्त मीडिया व राजनैतिक दल सोमनाथ भारती से उक्त आधार पर इस्तीफा नही मांग रहे है। बल्कि उनके द्वारा स्वयं खिड़की एक्सटेंशन क्षेत्र मे वेश्यावृत्ति के विरूध छापा मार कार्यवाही  किये जाने के कारण  इस्तीफा मांगा जा रहा है। वास्तव में यह मामले का दूसरा पहलू है जिस पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।  
         आखिर सोमनाथ भारती ने गत बुधवार की रात ऐसा क्या किया था जो वह गैरकानूनी हो गया और उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने का संकट भी सामने आ गया। पिछले बुधवार की रात्रि  सोमनाथ भारती  दक्षिण दिल्ली के खिड़की एक्सटेंशन क्षेत्र मे मादक पदार्थ व वेश्यावृत्ति की सूचना प्राप्त होने पर वे घटना स्थल पर वे स्वयं पहुचे व वहां उपस्थिति पुलिस अधिकारियो से दबाव पूर्वक यह आदेशात्मक अनुरोध किया कि वे तुरंत कथित अपराधियो केा गिरफ्तार करे और उनका मेडिकल टेस्ट करवाये। सर्च वारंट न होने का कारण बताते  हुए पुलिस अधिकारियो ने तुरंत जहां अपराधियो के गिरफतार करने में असमर्थता व्यक्त की, वहां आप के कुछ कार्यकर्ता ने युगांडा की कुछ महिलायो को मूत्र का नमूना भी देने को कहा। किरण बेदी का इलेक्टानिक मीडिया मे यह विचार कि सोमनाथ भारती को पुलिस के आफिसर को निर्देश देने का कोई अधिकार नही है और यदि मै आई.जी होती तो उन्हे तुरंत गिरफ्तार करने को कहती। क्या वास्तव में सोमनाथ भारती की पूरी कार्यवाही अवैधानिक थी ? प्रश्न यह है। 
          सोमनाथ भारती  कानून मंत्री होने के पहले एक नागरिक है और एक नागरिक को यह एक    संवैधानिक अधिकार है कि यदि उसके सामने किसी कानून का उल्लंघन हो रहा है, अपराध घटित हो रहा है तो अपराध करने वाले व्यक्ति को कानून के गिरफ्त मंे लाये जिसके लिये बनी जांच ऐजेंसी पुलिस के पास उस आपराधिक व्यक्ति को आवश्यक विवेचना करने के लिये सौप दे। या फिर क्या उसे यह विश्वास करना होगा कि कथित अपराधी पुलिस के आने तक वही रहेगा तो वह पुलिस को मात्र सूचना देकर अपने कर्तव्य का इति श्री मान ले ? सोमनाथ भारती कानून मंत्री है जिन पर मूल रूप से अपराध के रोकथाम के साथ कानून बनाये रखने की ही जिम्मेदारी है। यद्यपि उनके लिए आवश्यक तंत्र, पुलिस विभाग, उनके अधीन नही है। जब एक कानून मंत्री को इस तरह के गहन अपराध की सूचना स्थानीय निवासियो से विभिन्न माध्यमो से बार बार मिलती रही हो तब उसने क्या करना चाहिए ? आप और हम सभी जानते है कहते है, व मानते है कि इस देश की पुलिस सामान्यतया भ्रष्ट है।पुलिस जिसकी जिम्मेदारी       अपराध पर अंकुश लगाने की है उसकी ही छ़त्र छाया मे ही अपराध चलते,निखरते व फैलते है। खासकर वैश्यावृत्ति से संबंधित अपराध सैक्स रैकेट।यदि कानून मंत्री ने अपराध की घटना की सूचना टेलीफोन पर उस क्षेत्र के थानेदार को न देकर जिसकी पूरी संभावना रहती है कि सामान्यतया बिना थानेदार की जानकारी के उस तरह के अपराध घटित नही हो सकते है, स्वयं घटना स्थल पर जाकर वहां पर उपस्थित पुलिस अधिकारियो को कार्यवाही करने के आदेशात्मक अनुरोध किया तो यह कौन सा आपराधिक कृत्य हो गया, यह समझ से परे है। बात देशी या विदेशी नागरिक होने की नही है। इसलिए जब वहां के लोगो ने लिखित मे शिकायत की और अपने कानून मंत्री से ऐसे होने वाले इस तरह के अपराधो को रोकने की अपेक्षा की तो उस अपेक्षा के पालनार्थ कानून मंत्री ने कडा रूख अपनाया तो वह पुलिस के कार्यक्षेत्र मे हस्तक्षेप कैसे हो गया ? कानून मंत्री ने स्वयं शारीरिक रूप से किसी अपराधी को पकडा नही बल्कि घटना स्थल पर खडे रहकर उपस्थित पुलिस अधिकारीयो को अपराधियो को पकडने की हिदायत दी थी। जब सरकारी कर्मचारी अपने कार्य के प्रति जिम्मेदारी नही बरतते है तेा एक नागरिक को यह संवैधानिक     अधिकार है कि वह जमूरियत के उस जिम्मेदार जमूरे को, उसके कर्तव्य के प्रति जगाये और उसे अपना कर्तव्य करने के लिये प्रेरित करे, यह सरकारी कार्य मे हस्तक्षेप नही कहलाया जा सकता। अभी तक युगांडा महिला की धारा 164 बयान के आधार पर सोमनाथ भारती पर पुलिस द्वारा आपराधिक प्रकरण दर्ज नही किया गया है। लेकिन फिर भी पूरा देश सोमनाथ भारती को एक अपराधी को रात मे पकडाने के लिये  उसे अधिकारविहिन मानकर दोषी मानना जब तक नाजायज होगा तब तक कानूनन मंत्री के खिलाफ कोई आपरधिक प्रकरण  उक्त घटना को लेकर दर्ज नही हो जाता है। यद्यपि उक्त घटना को लेकर वहां उपस्थित आप पार्टी के कार्यकर्ताओ द्वारा किये गये दुर्वव्यवहार के आधार पर भी सोमनाथ भारती  के खिलाफ कोई अपराध कायम नही होता है जब तक यह बात प्रथम दृष्ट्या साबित नही होती कि सोमनाथ भारती ने अपने कार्यकर्ता को ऐसा करने के लिये उत्तेजित किया जिसका उनने नेतृत्व किया । 
          मतलब बिल्कुल साफ है कि एक नागरिक को न केवल एक संवैधानिक अधिकार प्राप्त है बल्कि उसका यह नागरिक दायित्व भी है कि उसके सामने हो रही कोई अपराधिक घटना या उसको किसी हो रही अपराधिक धटना की सूचना मिलती है तो वह उस अपराध को रोकने के लिए संविधान द्वारा प्रदत्त पुलिस प्रशासन से  इस तरीके से गुहार लगाये कि वे अपना कर्तव्य करने के लिये मजबूर हो जाये जहां उसे यह आशंका हो कि पुलिस की मिलीभगत से ही कोई अपराध घटित हो रहा है। वही दायित्व सेामनाथ भारती ने निभाया जिसके लिये वे साधूवाद के पात्र होना चाहिए बजाय इसके उन्हे कटघरे मे खडा किया जाये। लेकिन इस पूरे मामले में राजनीति हो रही है और राजनीतिक लाभ हानी के चलते उक्त मुददे पर उनसे जो इस्तीफा मांगा जा रहा है वह गलत है। उनसे जुडे अन्य मामलांे पर जहां वे नैतिक रूप से कमजोर पाये गये है उनसे जरूर इस्तीफा मांगा जा सकता है। मीडिया पर उनके बयान जिसके लिये बाद मे उन्हे माफी भी मांगनी पड़ी थी, पर केजरीवाल सरकार की हुई किरकिरी से लेकर अन्य मुद्दे पर उनकी विवादित कार्यशैली व बयानो को लेकर भी सरकार की हो रही फजीहत से सरकार के स्वास्थ्य के लिए उन्हे पदमुक्त कर देना ही ज्यादा उचित होगा।

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