शुक्रवार, 15 सितंबर 2017

रेयान इंटरनेशनल स्कूल में एक मासूम विद्यार्थी की जघन्य हत्या! क्या एक घटना मात्र हैं?

  ‘गुरूग्राम’’ के ‘‘रेयान इंटरनेशनल स्कूल’’ में हुई एक 7 वर्ष के विद्यार्थी प्रद्युम्न की जघन्य हत्या को पिछले कुछ दिनो से इलेक्ट्रानिक व प्रिंट मीडिया ने इतना अधिक कवरेज दिया है कि फिर वही पुराने अलाप व आरोप मीडिया ट्रायल की स्थिति उत्पन्न हो गई हैं। निश्चित रूप से मासूम की उक्त जघन्य हत्या ने अभिभावक के साथ साथ आम नागरिको को झकझोर दिया हैं जिसकी भर्त्सना के लिये शब्द नहीं हैं। एक मॉं ही उस असीमित, असहनीय, अविरल दुख को महसूस कर सकती हैं व वह उसे घिसटते हुये  जी रही हैं। अन्य लोग सिर्फ शब्दो द्वारा ही संवेदना व्यक्त कर सकते हैं। इन सबके बावजूद इस घटना को जिस तरह से मीडिया के द्वारा प्रसारित प्रचारित किया जा रहा हैं ‘‘क्या यही एक उचित तरीका बचा हैं’’ प्रश्न यह हैं?
सर्वप्रथम इस तरह की यह घटना देश की प्रथम घटना नहीं हैं, पूर्व में भी घटित होती रही हैं। विद्यमान घटना के 24 घंटे के भीतर ही न केवल अभियुक्त पकडा जा चुका हैं बल्कि उसने अपने इकबालिया बयान में जुर्म भीे स्वीकार कर लिया हैं। वह एक मानसिक रोग का शिकार हो सकता हैं, जैसा कि उसने हत्या के उद्देश्य के संबंध में अपने बयान में बतलाया था। इसके बावजूद पीडित परिवार के सदस्य पुलिस जांच से संन्तुष्ट नहीं हैं, एवं सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं जिसके लिये वे उच्चतम् न्यायालय भी पहुंचे हैं। यह उनका एक पूर्ण संवैधानिक अधिकार हैं जिसकी हर कीमत पर रक्षा की जानी चाहिये। उच्चतम् न्यायालय ने घटना का संज्ञान लेते हुये इसे मात्र एक घटना भर न मानकर राष्ट्रव्यापी स्कूलों में हो रहे ऐसी घटनाओं व अव्यवस्था को रोकने के लिए केन्द्र सरकार, हरियाणा सरकार, मानव संसाधन मंत्रालय व सीबीएसई को नोटिस जारी कर पूछा हैं कि स्कूल के बच्चो की सुरक्षा के बारे में व ऐसे घटना घटित होने पर स्कूल प्रबंधक की जवाबदेही क्या होनी चाहिए? लेकिन परिवार का यह कहना हैं कि उक्त हत्या में कन्डक्टर के अलावा और कोई ‘‘दूसरा’’ भी शामिल हैं। यह दूसरा कौन ? न तो पीड़ित परिवार ने अभी तक किसी की ओर निश्चित्ता के साथ इंगित किया हैं और न ही मीडिया ने। यद्यपि मीडिया इस घटना को जोर-शोर से प्रचारित कर रहा हैं। पुलिस की जांच में भी अभी तक कोई दूसरी थ्योरी भी सामने नहीं आयी हैं। एसआईटी की जांच रिपोर्ट में प्रथम दृष्ट्या स्कूल प्रशासन पर गहन लापरवाही व सुरक्षा बंदोबस्त में चूक व विभिन्न नियमों के उल्लंघन के आरोप पाये गये हैं। इस आधार पर पुलिस ने स्कूल के दो प्रशासनिक व्यक्तियों को गिरफ्तार भी कर लिया हैं व कार्यवाहक प्राचार्य को भी पूछताछ के लिये हिरासत में लिया हैं।
यदि हम एसआईटी की उक्त रिपोर्ट की सूक्ष्म  विवेचना करे तो यह स्पष्ट हो जाता हैं कि रेयान स्कूल में जो तीन प्रमुख कमियॉं बतलाई गई हैं, वे सब कमोेवेश लगभग हर सरकारी/गैर सरकारी स्कूल में भी मिल जायेगी। इलेक्ट्रानिक मीडिया के ओवी वेन आज भी किसी स्कूल में चले जाएॅं तो उनमें कमोवेश उपरोक्त कमियों के साथ और अन्य कई कमियॉं भी मिल जायेगी। कुछ मीडिया हॉऊस ने यह कार्य किया भी हैं। तब सरकार इस घटना से सबक लेकर तुरंत समस्त स्कूलो की विस्तृत जांच करवाने के आदेश क्यों नहीं दे रही हैं ताकि ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो। मीड़िया ने भी न तो स्वयं इस दृष्टि से कार्य किया हैं और न ही सरकार का ध्यान ऐसी कार्यवाही के लिये आकर्षित किया हैं। यद्यपि अब केन्द्रीय सरकार मानव संसाधन मंत्रालय एवं कुछ राज्य सरकारे ने उच्चतम् न्यायालय द्वारा नोटिस जारी होने के बाद इस दिशा में कुछ कार्यवाही करने हेतु कदम उठाए हैं।
सिर्फ पीड़ित परिवार की असहनीय असीमित व्यथा को लगातार 72-72 घंटे से ज्यादा व्यक्त करके क्या मीडिया अपने दायित्व से मुक्त हो गया हैं? इस तरह की घटना जब एक ग्रामीण इलाके में छोटे से स्कूल में हो जाती हैं तब मीडिया कहां चला जाता हैं?किसी ग्रामीण इलाके की स्कूल की व्यवस्था देख ले। क्या वहॉं बाउंड्रीवाल हैं? क्या सिक्योरिटी गार्ड हैं। क्या वे सब व्यवस्थाएॅ इन ग्रामीण स्कूलो में हैं, जिनकी ओर एसआईटी ने उंगली उठाई हैं। क्या ग्रामीण स्कूल के ‘‘बच्चे’ -‘बच्चे’ नहीं होते हैं? अब जब शिक्षा का अधिकार पूरे देश में एक मूल संवैधानिक अधिकार बन गया है, तब सुरक्षित शिक्षा के पैमाने भी पूरे देश में क्यों नहीं लागू होना चाहिए?
एक बात और हैं, राजनेताओं का शिक्षण संस्थाओं के साथ गहरा नाता हैं, जिसके कारण यदि पब्लिक स्कूलों में कही शिक्षा का स्टेन्डर्ड बढ़ता हैं तो दूसरी ओर अभिमावकों का आर्थिक शोषण भी बढ़ता हैं। साथ ही शिक्षण संस्था संचालन में नियमो की बडी अनदेखी भी होती हैं। लेकिन राजनैतिक दखल होने के कारण कोई भी प्रशासनिक व्यवस्था इन पर कार्यवाही करने में तब तक हिचकते रहते हैं जब तक केाई घटना घटित न हो जाय। इस नेक्सस को तोडना भी समय की पुकार हैं। 
अंत में उक्त जघन्य घटना की भर्त्सना मात्र करते हुये पीड़ित परिवार के साथ पूरी हार्दिक संवेदना दर्शाने के साथ मीडिया अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ, मीडिया ट्रायल कर, अपनी लक्ष्मण रेखा को खुद तोड़ रहा हैं, और यह पहली बार नहीं हो रहा हैं।
  

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