गुरुवार, 15 सितंबर 2022

‘नाम परिवर्तन’’ के साथ कुछ शब्दों पर भी ‘‘प्रतिबंध’’ समय की मांग है।


शहरों, भवनों, स्मारकों, रेलवे स्टेशनों आदि नामों के बदलने का एक सिलसिला देश में काफी समय से चल रहा है। उसी कड़ी में हाल में ही राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ करने की घोषणा प्रधानमंत्री जी ने की है। इसके लिए निश्चित रूप से वे बधाई एवं धन्यवाद के पात्र है। शायद यह परिवर्तन के युग की समय की आवश्यकता भी है। इस बदलाव को विशिष्ट पहचान (संस्कृति, भाषा, स्थान योगदान, बलिदान इत्यादि) को स्पष्ट रूप से चिन्हित, प्रदर्शित और महसूस करने का प्रयास कहा जा सकता है। इस ‘चलती हवा’ के साथ हम क्यों नहीं कुछ शब्दों जो हमारी संस्कृति पर चोट पहुंचाते हैं, प्रतिबंध लगाने का कार्य नहीं कर सकते हैं?

‘‘हरामजादा’’ ‘‘हराम’’ ऐसे शब्द हैं, जिन पर तुरंत प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए। क्योंकि इन शब्दों में हमारी सर्वोच्च आस्था का नाम जुड़ा हुआ है।। इसका  पूरा अर्थ बहुत ही बुरा नकारात्मक ध्वनित, प्रदर्शित होता है। ऐसा नहीं है कि शब्दों पर प्रतिबंध लगाने का यह कार्य पहली बार होगा। पूर्व में भी हम जरूरत के अनुरूप शब्दों पर प्रतिबंध लगा चुके हैं। याद कीजिए अनुसूचित जनजाति शब्द जिस शब्द (...) के लिए इसका प्रयोग किया गया है, उसे प्रतिबंधित किया जा चुका है। निर्भया, दिव्यांग शब्द की उत्पत्ति भी इसी कारण से हुई है। उक्त शब्दों को स्पीकर ने भी असंसदीय घोषित किया है। जब माननीयों के लिए उक्त शब्दों के उपयोग पर विधानसभा में प्रतिबंध है, तब उक्त प्रतिबंध को विधानसभा के बाहर बढ़ाकर आम प्रचलन में और आम जनता के लिए भी  क्यों नहीं लागू  कर दिया जाना चाहिए?

मेरे राम के देश में जहां हम रामराज्य से गुजर चुके हैं, आज वहां भव्य राम मंदिर निर्माण हो रहा है, उसी देश के राम भक्तों से यही अपील करता हूं कि वे उक्त अपशब्दों पर प्रतिबंध लगाने के लिए मुहिम चलाएं। परिस्थितियां इसके बिल्कुल अनुकूल है। आवश्यकता सिर्फ आपके जागृत होने मात्र की है।

यहां उल्लेखनीय है कि सांसद साध्वी निरंजन ज्योति के द्वारा दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान उक्त हरामजादों शब्द के उपयोग करने पर न केवल प्रधानमंत्री मोदी ने उनको फटकार लगाई, बल्कि उनको माफी भी मांगनी पडी।

3 टिप्‍पणियां:

  1. अपशब्द उपयोग करने वाले माननीयों को 5-6वर्षों चुनाव लड़ने को लिए अयोग्य घोषित कर दें
    कुछ ही समय में सब ठीक हो जायेगा
    हमारे यहां *सजा नहीं इसी कारण कोई अनुशासन नहीं*

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर सवाल है भैया जी

    जवाब देंहटाएं
  3. देश सुधार तभी सम्भव जब छोटे से बड़े सभी 100 प्रतिशत अनुशासन का पालन करें अथवा पालन करने को मजबूर किए जांय !

    जवाब देंहटाएं

Popular Posts